14 September 2011

इंजीनियरिंग में अवसर

सदियों पहले जब जेम्स वॉट ने केटली से निकलती भाप से प्रेरित होकर स्टीम इंजन क ा निर्माण किया था तो उन्हें भी मालूम न था कि उनकी यह खोज इंजीनियरिंग जगत का ऐसा प्रयोग बन जाएगी जो दुनिया क ी एक नई तस्वीर का आगाज करेगी। आज इंडस्ट्री, व्यापार ,निर्माण, परिवहन के क्षेत्र में जो भी क्रांतिकारी बदलाव हमें दिखाई पडते हैं, उसके मूल में भाप की यही प्रेरणा शक्ति है। केवल स्टीम इंजन ही क्यों, हाल के सालों में मानव जीवन को प्रभावित करने वाले जितने भी भौतिक संसाधन निर्मित हुए, वे सभी इसी इंजीनियरिंग प्रेरणा का कमाल हैं। इसी कडी में इंजीनियरिंग शिक्षा भी आज नया आयाम पाती दिख रही है, जिसके चलते जो इंजीनियरिंग स्नातक कभी अंगुलियों पर गिनने लायक होते थे आज भारत निर्माण का सबसे पुख्ता जरिया बन रहे हैं। यही नहीं इंजीनियरिंग सीटों में होता इजाफा, युवाओं का बढता रुझान, रोजगार की जोरदार संभावनाएं, काम का ग्लोबल दायरा आदि मिलकर इस सेक्टर को काफी हॉट बना रहे हैं। यदि आप एक नियमित प्रक्रिया के बजाय विस्तृत परिप्रेक्ष्य में काम कर अपने राष्ट्र को अग्रिम पंक्ति में खडा करना चाह रहे हैं, तो इंजीनियरिंग आपको ये सभी चीजें एक ही जगह दे सकती है।
आज के दौर में इंजीनियर
लंबे समय के आर्थिक, तकनीकी पिछडेपन से उबरते हुए जब पहली बार 1957 में बडी परियोजना (भाखडा नांगल बांध) राष्ट्र को समर्पित की गई तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसे राष्ट्र का नया आराधना स्थल बताया था। आज उनकी यह बात पूरी तरह सही साबित हो रही है। असाधारण मानवीय व इंजीनियरिंग कौशल की नींव पर खडी ये संरचनाएं आज विकास का पर्याय तो बन ही रही हैं, साथ ही इंजीनियर के काम व भूमिका दोनों को री-डिफाइन भी कर रही हैं। इन दिनों साधारण सिलाईमशीन से लेकर परिवहन विमान, मामूली भवनों से लेकर गगनचुंबी इमारतें, जीवनरक्षक दवाओं से लेकर डिफेंस टेक्नोलॉजी, मनोरंजन तकनीकों, ऑटोमोबाइल तक सभी चीजें इंजीनियरिंग सेक्टर की ही देन हैें। और तो और अब तक इंजीनियरिंग सेक्टर्स से पूरी तरह अलहदा माने जाने वाले क्षेत्र जैसे बायोटेक्नोलॉजी, एग्रीकल्चर, मेडिकल इंजीनियरिंग, इनवॉयरमेंटल सांइस आदि इंजीनियरिंग तकनीकों पर ही निर्भर हैं। कंप्यूटर, आईपॉड, डिजिटल कैमरा, माइक्र ोवेव, बाइक, बिल्डिंग, कार, मोबाइल फोन, रिस्ट वॉच, जैसी बहुत सी साधारण या यूं कहें रोज की आदत बन चुकी चीजें इंजीनियरिंग तकनीकों के चलते ही मुमकिन हुई हैं।
इंजीनियरिंग में इंट्री के रास्ते
एक अनुमान के मुताबिक, आज देश में एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त करीब 1200 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जो राष्ट्रीय स्तर पर इंजीनियरिंग परीक्षाओं का आयोजन करते हैं तो वहीं राज्य स्तर पर भी अलग- अलग राज्यों की इंजीनियरिंग परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। देश के आइआइटी संस्थानों में प्रवेश के लिए आपको आइआइटी- जेईई की परीक्षा पास करनी होती है। वहीं सीबीएसइ, एआइइइ, कॉमन इंट्रेस टेस्ट, ग्रेजुएट एप्टीट्यूट टेस्ट (पीजी कोर्स के लिए) इंजीनियर बनने के कई और रास्ते हैं।
अपेक्षित योग्यता
वे सभी छात्र, जो 12वीं पीसीएम ग्रुप से हैं, इंजीनियरिंग फील्ड में इंट्री ले सकते हैं। यहां बीई, बीटेक कोर्सके लिए आपको फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स विषयों में न्यूनतम 50 फीसदी अंकों के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। आइआइटी प्रवेश परीक्षा के लिए 12वीं में (पीसीएम) 60 फीसदी अंक लाना अनिवार्य है, जबकि डिप्लोमा कोर्स के लिए 50 प्रतिशत अंक के साथ 10वीं पास होना न्यूनतम अर्हता है। इस क्षेत्र में इंट्री लेने के पहले खुद से कुछ सवाल पूछना जरूरी होगा। मसलन कि क्या आप ऐसे व्यक्ति हैं जिसमें यह जानने की जिज्ञासा है कि चीजें कैसे काम करती हैं? क्या आपमें एक बेहतर समाज बनाने की रुचि है? क्या आप तर्कपूर्ण ढंग से सोच पाते हैं? आप किस हद तक चुनौतियां लेना पंसद करते हैं? यदि इन सब सवालों का जवाब हां में हैं तो फि र इंजीनियरिंग सेक्टर में आपके लिए अवसरों की कमी नहीं है।
पॉपुलर कोर्स पॉपुलर स्ट्रीम
आज इंजीनियरिंग क्षेत्र में बदली जरूरतों के मुताबिक परिवर्तन हुआ है। वे स्ट्रीम जिनका आज से डेढ दो दशक पहले कोईखास स्कोप नहीं था, आज छात्रों की पहली पंसद बन रहे हैं। इस बीच कुछ परंपरागत स्ट्रीम्स में आज भी छात्रों का रुझान कायम है।
कंप्यूटर सांइस
इंजीनियरिंग की यह वह स्ट्रीम है, जिसमें पिछले एक दशक में असाधारण उछाल आया है। सूचना क्रांति के पदार्पण के बाद आज सीएस, छात्रों की सबसे ज्यादा रुझान वाली स्ट्रीम है। नैसकॉम की एक रिपोर्ट भी कहती हैकि 2020 तक यह इंडस्ट्री 225 बिलियन डॉलर का अंाकडा छू लेगी, जिसमें लाखों नए जॉब के अवसर होंगे, विदेशों में काम की अच्छी गुंजाइश होगी। इन तथ्यों के बीच यदि आप कंप्यूटर सांइस में बी-टेक हैं तो यकीन मानिए आपको एक सुनहरे कॅरियर की गारंटी मिल सकती है। नेटवर्किग इंजीनियर, सिस्टम डिजाइनर, सिस्टम एनालिस्ट के पास इन दिनों असीमित विकल्प हैं।
सिविल इंजीनियरिंग
इंफ्रास्ट्रक्चर किसी भी देश के विकास की पहली जरूरत होती है। रोड, सडक, भवनों, पुलों, बांध, नहरें, बदंरगाह, एयरपोर्ट आदि के निर्माण में सिविल इंजीनियर के ही सैद्धांतिक व व्यवहारिक कौशल की जरूरत होती है। आज सरकार भी इस क्ष्ेात्र के विकास के लिए गंभीर है।शायद यही कारण हैकि इस वर्ष के बजट में शहरी ढंाचागत सुविधाओं के लिए 1.5 बिलियन डॉलर आवंटित किए गए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि देश की बढती ग्रोथ रेट के बीच यहां भविष्य में रिक्रूटमेंट की रफ्तार कम नहीं होने वाली है।
मेकेनिकल इंजीनियरिंग
आज इंजीनियरिंग की सबसे पसंदीदा ब्रांचेज में से एक है। इसका महत्व इस बात से समझा जा सकता हैकि एक साधारण मोबाइल फोन से लेकर मिसाइल तक के निर्माण में मेकेनिकल इंजीनियर की दरकार होती है। इतना ही नहीं थर्मल पावर स्टेशन, एयर कंडीशनिंग उद्योग, गैस टर्बाइन, ऑटोमोबाइल, एयरक्राफ्ट निर्माण, टेक्सटाइल उद्योग, मशीन कलपुर्जा निर्माण कारखानों में भी ये लोग अहम भूमिक ा निभाते हैं। चीजों व काम के मशीनीकरण के इस दौर में मैकेनिकल इंजीनियर्स के लिए आने वाला दौर स्वर्णिम है।
केमिकल इंजीनियरिंग
केमिकल इंजीनियर आज इस क्षेत्र के सबसे ज्यादा संभावनाओं वाले क्षेत्रों में से एक है। जहां मुख्य रूप से उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले रसायनों का निर्माण किया जाता है। केमिकल इंजीनियर यहां उत्पादित चीजों की गुणवत्ता मानक, उनके प्रभाव, दुष्प्रभावों की जंाच करता है। केमिकल इंजीनिरिंग का चयन करने वाले छात्रों के लिए आवश्यक है कि केमिस्ट्री में उनकी स्वाभाविक समझ व रुचि हो। धातु उद्योग, रिफाइनरी, पेट्रोके मिकल, औषधि, खाद, शीशा निर्माण, नेनोटेक्नोलॉजी आदि क्षेत्रों में इन लोगों के लिए अच्छे अवसर हैं।
टेक्सटाइल
देश में टेक्सटाइल उद्योग (कपडा) पहले से ज्यादा तकनीक प्रधान हुआ है। बाजार की बढती मांगों को देखते हुए टेक्सटाइल स्ट्रीम में बी-टेक या डिप्लोमाधारियों की मांग बढी है। यहां छात्रों के लिए निर्माण, तकनीक, रिसर्च डेवलेपमेंट तीनों ही विभागों में काम के असीमित अवसर हैं।
इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग
विद्युत, देश के विकास की एक अनिवार्य शर्त है। ढांचागत सुविधाओं का विकास हो या फिर स्पेस टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिक उपकरणों का निर्माण हो या फिर संचार प्रणाली, सभी जगह इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर कारगर भूमिका निभाते हैं। बिजली बोर्ड, वायुयान, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिक उत्पाद बनाने वाली कंपनियों, स्पेस एंजेसियों, निर्माण सेवाओं से जुडी कंपनियों में इस स्ट्रीेम के लोगों को वरीयता दी जाती है।
माइन इंजीनियरिंग
एक अुनमान के मुताबिक आज देश में 86 बिलियन टन के करीब खनिज भंडार मौजूद हैं, जिन्हें उत्खनित किया जाना है। आज अकेले छत्तीसगढ, बिहार, उडीसा, झारखंड में करीब 3300 से ज्यादा माइन्स हैं। देश के कई संस्थान हैं जो मांइस इंजीनियरिंग में स्पेशलाइज्ड बी-टेक कोर्स ऑफर करते है। इनके अलावा आज एयरोनॉटिकल इजीनियरिंग, इनवॉयरमेंटल, बायोमेडिकल, आटोमोबाइल, एग्रीकल्चर ,पेट्रोलियम इंजीनियरिंग जैसी इंजीनियरिंग की कई और शाखाएं भी कॅरियर के दर पर मजबूत दस्तक साबित हो रही हैं।
इंजीनियरिंग है बेहतर सेक्टर
भारतीय ज्ञान आयोग के चैयरमैन सैम पित्रोदा के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर किसी भी उदीयमान अर्थव्यवस्था की सबसे बडी जरूरत होती है और इंजीनियरिंग इस इंफ्र ास्ट्राक्चर में जान फूंकने वाला एक अहम तंत्र। दरअसल यह एक ऐसा क्षेत्र है, जो आज से नहीं बल्कि सालों से प्रतिष्ठा से भरा कॅरियर माना जाता है। आज देश की कुल जीडीपी में 12 फीसदी भागीदारी रखने वाले इस सेक्टर को कामयाबी का दूसरा नाम बताया जा रहा है। नैसकॉम की एक रिपोर्टभी आज इसी बात की तस्दीक करती है, जिसके अुनसार कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे इंजीनियरिंग सेक्टर में आने वाले समय में करीब 5 लाख ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जरूरत होगी। वहीं एसोचैम का एक और सर्वे बताता हैकि इंजीनियरिंग क्षेत्र में 2020 तक ढाईलाख नए प्रोफेशनल्स की जरूरत पडेगी। बकौल विशेषज्ञ आने वाले सालों में इंजीनियरिंग कंपनियां बडे पैमाने पर रिक्रूटमेंट ड्राइव चलाएंगी। यदि इन मौकों के बीच आप अपने कॅरियर की गारंटी तलाश रहे हैं तो इंजीनियरिंग आपका सही मुकाम हो सकता है। जहां तक संस्थान की बात है, तो आइआइटी के अलावा राज्य के इंजीनियिरिंग कॉलेजों में प्रवेश पा सकते हैं।
तैयारी के सेवेन सीक्रेट्स
आज इंजीनियारिंग की पुख्ता तैयारी सिलेबस या फिर कोचिंग क्लासेस केही भरोसे रह कर नहीं की जा सकती, बल्कि इसके लिए आपको एक सटीक रणनीति भी बनानी होगी।
11वीं के साथ ही परीक्षा की तैयारी शुरू कर दें। सिलेबस कक्षा पास करने के लिए नहीं, इंजीनियरिंग परीक्षा क्वालीफाईकरने के लिए पढें।
कोशिश करें परीक्षा के दो महीने पहले ही सिलेबस खत्म हो जाए। बचे हुए समय का इस्तेमाल रिवीजन व कुछ खास टॉपिक्स पढने के लिए रखें।
पिछले दस सालों के पेपर्सको हल करना बिल्कुल न भूलें।
समय यहां कामयाबी की कुंजी है, मॉक पेपर्सको निश्चित समय में हल करने की आदत बनाएं।
वे सवाल जो पेपर हल करते समय आपकी स्पीड को प्रभावित करते हैं, उन्हें छोड बाकी सवाल पहले हल करें।
जिन खंडों पर आपकी पकड अच्छी हो उन्हें पहले सॉल्व करें।
आपके बेहतर स्कोर के लिए सही उत्तर व उनकी संख्या दोनों आवश्यक हैं, इसलिए यहां स्पीड व एक्यूरेसी दोनों पर ही काम करना जरूरी होगा।
जॉब का सोर्स:
इंजीनियरिंग सर्विस आउटसोर्स
आज इंजीनिय¨रग सर्विस आउटसोर्स (ईएसओ) खासा लोकप्रिय हो रहा है। इंजीनियरिंग की किसी भी शाखा से संबंध रखने वालों के लिए यहां अच्छे अवसर हैं। ईएसओ के अंर्तगत एयरोस्पेस, टेलीकॉम, कंस्ट्रक्शन, रिसर्च डेवलेपमेंट, ऑटोमोबाइल, यूटिलिटी जैसी बहुत सी चीजें आती हैं। आज ईएसओ के 15 बिलियन डॉलर के विशाल बाजार में भारत की 12 फीसदी की हिस्सेदारी है, जिसके 2020 तक 25 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है। (नैसकॉम व बूज एलन हेमिल्टन का सर्वे)। इन उम्मीदों के आकडों के बीच देख सकते हैं कि खुद विकसित देश अपनी जरूरतों के लिए भारतीय प्रोफेशनल्स को ले रहे हैं। जो बडे पैमाने पर देश के लिए विदेशी मुद्रा की राह तो बना ही रहा है साथ ही युवाओं के लिए जॉब्स की सौगात भी ला रहा है।
डा. एम विश्वेश्वरैया: आधुनिक भारत के निर्माता
भारतीय इंजीनियरिंग जगत में नए प्रतिमान स्थापित करने वाले डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म दिवस (15 सितंबर) देश में अभियंता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। देश के लिए गर्व का कारण बनने वाली कई अहम परियोजनाओं केनिर्माण में डॉ. विश्वेश्वरैया की अहम भूमिका रही। 1860 में कर्नाटक के कोलार जिले के एक साधारण परिवार मे जन्मे डॉ. विश्वेश्वरैया का जीवन पूरी तरह से देश के तकनीकी विकास को समर्पित रहा। कृष्णराज सागर बांध, भद्रावती आयरन एंड स्टील व‌र्क्स, मैेसूर विश्वविद्यालय, बैंक ऑफ मैसूर, मूसा नदी पर बना बांध जैसी विशाल परियोजनाएं उनके ही अथक प्रयासों की देन हैं। उनके द्वारा लिखी पुस्तकों में रिकंस्ट्रक्टिंग इंडिया एक जानी मानी पुस्तक है जिसमें एक इंजीनियर की निगाह से देश की भावी तस्वीर का जायजा लिया गया है। उनके असाधारण उपलब्धियों को सराहते हुए सरकार ने 1955 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया।

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